यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसका अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व है। यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। गर्भगृह में गणेश, कार्तिकेय और पार्वती की चांदी की प्रतिमाएं भी हैं। मंदिर परिसर में सुंदर वास्तुकला देखने लायक है।
यह मंदिर भगवान गणेश के आठ स्वरूपों को समर्पित है और महाराष्ट्र के प्रसिद्ध अष्टविनायक मंदिरों की तर्ज पर बनाया गया है. इस मंदिर में भगवान गणेश की आठ 8-फुट ऊंची प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं, साथ ही मां रिद्धि सिद्धि की भी प्रतिमाएं विराजमान हैं.
यह मंदिर उज्जैन के संरक्षक देवता, भगवान भैरव को समर्पित है, जो भगवान शिव के अवतार हैं। इस मंदिर की एक अनूठी विशेषता देवता को शराब का प्रसाद चढ़ाना है।
यह सुंदर, महलनुमा मंदिर भगवान कृष्ण और राधा को समर्पित है। इसमें सुंदर बगीचे, जटिल नक्काशीदार संगमरमर के खंभे और एक विशाल परिसर है।
भगवान गणेश को समर्पित एक लोकप्रिय मंदिर, जहां भक्त उनका आशीर्वाद लेने आते हैं। यह स्वयंभू गणेश प्रतिमा के लिए जाना जाता है।
यह पूजनीय स्थल वह प्राचीन गुरुकुल माना जाता है, जहां भगवान कृष्ण, बलराम और सुदामा ने महर्षि सांदीपनि से शिक्षा प्राप्त की थी।
कालिका देवी को समर्पित इस मंदिर का उच्च धार्मिक महत्व है, और कुछ लोगों का मानना है कि यह प्रसिद्ध कवि कालिदास का पूजा स्थल था। यह ५१ शक्तिपीठों में से एक है।
भगवान गणेश को समर्पित एक और मंदिर।
उज्जैन एक प्राचीन और धार्मिक नगरी है, जो मध्य प्रदेश में शिप्रा नदी के किनारे स्थित है और जहाँ महाकाल ज्योतिर्लिंग तथा सिंहस्थ कुंभ मेले का आयोजन होता है.
भगवान गोपाल को समर्पित एक मंदिर। यह महाकालेश्वर के बाद उज्जैन का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है।
चार महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थस्थलों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक मंदिर।
शहर से दूर स्थित, कुछ मान्यताओं के अनुसार इसे मंगल ग्रह का जन्मस्थान माना जाता है।
क्षिप्रा नदी के तट पर एक पवित्र स्नान घाट, जहां भक्त पवित्र स्नान करते हैं और अनुष्ठान करते हैं।